Sunday, October 10, 2010

बाक़र मेहदी

"नक़ाब फैशन की हो या अकीदे की ! मैं दोनों को अदब के लिए मुज़िर समझता हूं ! हाली से सरदार जाफरी तक जो शायरी हुई है, वह एक ख़ास किस्म की मकसदी शायरी है ! उसमें शायरी कम और पैगाम्बरी ज्यादा हावी है ! तरक्कीपसंद शायरी को जदीद नहीं कहा जा सकता !" गहन अध्ययन, चिंतन, कविता, आलोचना, संघर्ष, सचाई की पक्षधरता और स्पष्टवादिता जब एक बिंदु पर जमा होती है, तो उसका एक नाम बाक़र मेहदी भी होता है ! उनका अध्ययन क्षेत्र इतना विविध और विशाल है कि उर्दू में तो शायद ही कोई समानता का दम भर सके ! काव्य में प्रयोग करने से पहले जिस कलात्मक परिपक्वता की जरूरत होती है, वह बाक़र मेहदी में कूट-कूट कर भरी है ! इसके बावजूद उर्दू अदब में वे उपेक्षित से रहे हैं ! हालांकि वे उन बुद्धिजीवियों में शुमार हैं, जो अपनी तर्कबुद्धि से चीजों को समझते भर नहीं हैं, बल्कि उसी की रोशनी में ज़िन्दगी गुजारते हैं ! मार्क्सवादियों से शायद इसीलिए उनकी ज्यादा नहीं बनी ! शायरी में रचनात्मक आज़ादी के मानी क्या होते हैं, यह बाक़र मेहदी की शायरी से बखूबी समझा जा सकता है ! चेगुआरा के प्रशंसक बाकर मेहदी ने शायरी के साथ-साथ अरसे तक अनियतकालीन अदबी मैगजीन 'इज़हार' का सम्पादन भी किया ! यहां पढ़िए उनकी एक मोहक ग़ज़ल-



खुद अपने आप पे हंसने का फ़न सिखा मुझ को
खुदा बना के फ़रिश्तों से फिर लड़ा मुझ को

किरण की तरह मुझे रोशनी की रूह में डाल
मैं अश्क़ बनके गिरा हूं, ज़रा उड़ा मुझ को

विसाले-आतिशो-आहन मुझे डरा न सके
फ़िराक़े-आबो-हवा से मगर डरा मुझ को

मिरे क़लम से मिरा नाम लिख के काट कभी
मिरी किताब जला के ज़रा दिखा मुझ को 

मैं एक चीख हूं, तूफां से लड़ता आया हूं
बना के बर्क पहाड़ों प' अब गिरा मुझ को

फ़सुर्दा हूं मैं यगाना के शे'र मुझ को सुना
मैं डूबता हूं सरे-शाम से बचा मुझ को

मैं इंक़िलाब की आहट तो पा रहा हूं मगर
मिरी नवा से मिला दे कोई सदा मुझ को

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अकीदा : मत, मुज़िर : हानिकर, हाली और सरदार जाफरी : उर्दू के प्रसिद्ध शायर, मकसदी : एक ध्येय या उद्देश्य लेकर की गई, पैगाम्बरी : सन्देशवाहकता, फ़न : कला, अश्क़ : आंसू, विसाले-आतिशो-आहन : आग और लोहे का मिलाप, फ़िराक़े-आबो-हवा : पानी और हवा का वियोग, बर्क : आकाशीय बिजली, फ़सुर्दा : उदास, यगाना : मिर्ज़ा यास यगाना चंगेजी - उर्दू के श्रेष्ठ शायर, इंक़िलाब : क्रान्ति, नवा : आवाज़, सदा : पुकार !

2 comments:

  1. आलोक जी, शानदार प्रस्तुतियों के लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं /
    आपकी अविरल साधना चलती रहे मित्र /

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  2. आपका धन्यवाद, मित्र !

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